शोध से पता चलता है कि ज्यादातर नए माता-पिता पारंपरिक भूमिकाओं की ही कल्पना करते हैं, जिनमें पुरुष दाता और महिला देखभालकर्ता की भूमिका निभाते हैं और वे अपनी नई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों की चर्चा नहीं करते।
कई सारे नए माता-पिता अक्सर अपने जीवन-साथी के काम को लेकर, या हर माता और पिता को क्या करना चाहिए और यहाँ तक कि उनकी अपनी पारिवारिक सोच के आधार पर घर के कर्तव्यों के आधारभूत विवरणों को लेकर बिना ज़ाहिर किए अपेक्षाएँ होती हैं।
ये अपेक्षाएँ जो कभी सूचित नहीं कि जातीं, कई बार आपस में संघर्ष का कारण बन सकता है । बच्चा करने से पहले, जीवन-साथियों को इस बारे में बातचीत कर लेनी चाहे कि मुख्य काम करने के घंटे के बाद वे कैसे घर की जिम्मेदारियों को निपटाएंगे और कैसे हर साथी को बच्चे के जन्म के बाद कुछ समय अकेले में बिताने को मिले। इस प्रकार के नियोजन से नए अनुभवों और जिम्मेदारियों के बावजूद आपके आपसी संबंध मजबूत बनेंगे।